हरियाणा: गांव के निजी स्कूलों को करोड़ों का घाटा, बिना फीस दिए ही छोड़ गए हजारों विद्यार्थी

हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में स्थित कुछ निजी स्कूलों को एसएलसी की अनिवार्यता खत्म होने से करोड़ों का घाटा हुआ है. हरियाणा प्रदेश के हजारों बच्चे बिना फीस का भुगतान करें निजी स्कूलों को छोड़ सरकारी स्कूलों में जा रहे हैं. एसएलसी जरूरी ना होने से उन्हें सरकारी स्कूलों में बहुत ही आसानी से दाखिला भी मिल गया है और आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि सबसे अधिक नुकसान हरियाणा शिक्षा बोर्ड से संदर्भ स्कूलों को हो रहा है.

स्थिति यह है कि निजी स्कूल स्टाफ को पूर्ण वेतन नहीं दे पा रहे हैं. कोविड-19 की पहली एवं दूसरी लहर में स्कूल पूर्णता बंद होने के कारण शिक्षकों चपरासी ड्राइवर अन्य सहायकों का वेतन रुका हुआ है. इन्हें अपना घर चलाना भी बहुत मुश्किल हो रहा है. हालत अत्यधिक विकट होने पर स्कूल संचालक इन्हें कर्ज या कहीं से उधार लेकर 20 30 फ़ीसदी वेतन भी बड़ी मुश्किल से दे पा रहे हैं ताकि इनका घर चल सके.

कोविड-19 कारण पहले से ही निजी स्कूल आर्थिक मार झेल रहे थे. ऐसे में हरियाणा सरकार ने एसएलसी के बिना सरकारी स्कूल में दाखिले का प्रावधान बना दिया. जिससे निजी स्कूलों को भारी झटका लगा है. अभिभावक स्कूल फीस जमा नहीं करा रहे और आय का अन्य कोई साधन भी उनके पास नहीं है. स्कूल बंद होने से अभिभावक बच्चों की फीस जमा नहीं कर रहे. अभिभावकों ने दो टूक तक कह दिया है कि स्कूल खुलने पर ही हम फीस देंगे. निजी स्कूलों को छोड़कर विद्यार्थी सरकारी स्कूल में दाखिला लेने के लिए जा रहे हैं.

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18000 निजी स्कूलों में से केवल 3,000 ही सीबीएसई से मान्यता प्राप्त:

  • हरियाणा प्रदेश में लगभग 18,000 निजी स्कूल है इनमें से लगभग 3,000 ही सीबीएसई मान्यता प्राप्त है बाकी अन्य स्कूल हरियाणा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है.
  • इनमें से अधिकांश स्कूल ग्रामीण अंचल में पढ़ते हैं उदाहरण के तौर पर अगर किसी ग्रामीण स्कूल में 400 बच्चे हैं तो 100 इस बार बिना फीस दिए स्कूल छोड़ गए हैं.
  • शहरी क्षेत्रों के निजी स्कूलों में भी दर्जन बच्चे स्कूल छोड़कर सरकारी विद्यालयों में चले गए हैं.

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