पाकिस्तान में हिंदू परिवार की लड़की ने रचा इतिहास,73 साल में पहली बार

पाकिस्तान। पाकिस्तान जैसे मुल्क में हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए गुजर बसर करना ही बेहद मुश्किल काम है. ऐसे माहौल में अगर कोई हिंदू लड़की वहां के सिविल सर्विसेज एग्जाम को पहली ही कोशिश में ब्रेक करे तो यह वाकई बड़ी कामयाबी है.27 साल की डॉक्टर सना रामचंद गुलवानी ने सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेस (CSS) की परीक्षा को क्लीयर कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. उन्हें असिस्टेंट कमिश्नर बनाया जा सकता है.

फिलहाल सना कराची में रहती हैं. वह शिकारपुर के सरकारी स्कूल में पढ़ी हैं. सना ने सिंध प्रांत की रूरल सीट से इस परीक्षा में हिस्सा लिया था. यह सीट पाकिस्तान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेट के अंतर्गत आती है. पाकिस्तान में इस एग्जाम के जरिए ही प्रशासनिक सेवाओं में नियुक्तियां होती हैं. यह काफी कुछ भारत के सिविल सर्विसेस एग्जाम की तरह से हैं. इसे वहां का यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन आयोजित करता है. इस बार इसमें 18553 छात्रों ने हिस्सा लिया, जिसमें 221 चुने गए. इनमें महिलाओं की तादाद 79 रही. माहीन हसन नाम की मुस्लिम युवती ने एग्जाम को टॉप करके सुर्खियां बटोरी हैं.

सना के मुताबिक- उनका परिवार नहीं चाहता था कि वह सिविल सर्विसेज में जाएं. माता-पिता का सपना उन्हें डॉक्टर बनते देखने का था. उन्होंने दोनों ही टारगेट पूरे किए. सना पहले से ही मेडिकल प्रोफेशनल हैं और अब वह सिविल सर्विसेज का भी हिस्सा बनने जा रही हैं. पांच साल पहले उन्होंने बैचलर ऑफ मेडिसिन में ग्रेजुएशन किया था. फिलहाल वह सर्जन हैं और अपनी ड्यूटी का निर्वाह कर रही हैं.

सना ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है. लेकिन वह मानती हैं कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को कमजोर मत समझिए. ये छात्र भी हर कामयाबी हासिल कर सकते हैं जो एलीट स्कूलों के छात्र हासिल कर सकते हैं. सना कहती हैं कि उन्होंने इस एग्जाम को क्लियर करने की ठान ली थी. इसके लिए शुरू से काफी मेहनत की. उनका कहना है कि यह मेरा पहला प्रयास था. जो चाहा उसे हासिल करना सुखद है.

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